Sunday, 25 June 2023

HAVAN PROCEDURE

यज्ञ की महत्ता/ HAVAN IMPORTANCE

 

यो यज्ञैः यज्ञ परयैरिञ्चते तंत्र संज्ञितः।

तं यज्ञ पुरुषं विष्णुं नमामि प्रभुमीश्वरम् ।।

जो यज्ञ द्वारा पूजे जाते हैं, यज्ञमय हैं, यज्ञ रूप हैं, उन यज्ञ रूप विष्णु भगवान को नमस्कार है।" The one who worship as homa deity , i bow down to lord vishnu who is main homa god.

सामान्य यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की व्यवस्था

हवन-कुण्ड को आकर्षक एवं सुरुचिपूर्ण सजाना चाहिए। कुण्ड के चारों ओर हल्दी, रोली, आटे से चौक पूरना चाहिए। स्नानादि से निवृत्त हो, शुद्ध वस्त्र पहिन कर, शुद्ध भारतीय वेशभूषा में हवन करें।

Havan kund should be made attractive and should be decorated by turmeric powder or some flours. After taking bath one should sit for homa and should wear spritual dress for doing homa.

कुण्ड के ईशान कोण में कलश स्थापन करना चाहिए। कलश पर आम के पत्तों का उपयोग कर कलश के ऊपर ढक्कन में चावल, गेहूं का आटा या मांगलिक द्रव्य रखना चाहिए। कलश के चारों ओर कुंकुम या हल्दी से स्वस्तिक (मांगलिक चिह) अंकित कर दें।

In the north east of havan kund , water pot or kalash is to be placed and decorated with mango leaves and flours. Draw swastik in kalash or water pot with kumkum or turmeric powder.

पूर्व दिशा में जिधर कलश स्थापित हो ,उधर यज्ञकर्ता (आचार्य) बैठे। (आचार्य ब्रह्म स्वरूप होता है) अब यजमान आचार्य के दाएं हाथ में कलावा बांधे और रोली से तिलक कर चरण स्पर्श करे।

On the east , main homa person is to be sit and others on the left side.

समिधा (लकड़ी) आम, पीपल, ढाक, बरगद आदि की ली जा सकती है। नीम, बबूल की लकड़ी काम में नहीं आती। लकड़ी सूखी, छोटी कटी हुई, आठ-दस इंच से लम्बी न हो।

woods should be small , well dried to be used and its better to have mango, peepal , vat woods if possible.

अग्नि प्रवेश के लिए बहुत छोटी छोटी लकड़ियां रहनी चाहिए। समिधाधान के लिए चार लकड़िया भी पहले से ही तैयार रखें।

woods should be small at bottom and four woods to be place separate for main samidha

आहुति देते समय निम्न सावधानियां रखें- Points to be note down for homa

१. मध्यमा और अनामिका उंगलियों पर सामग्री ली जाए और अंगूठे का सहारा लेकर उसे अग्नि में छोड़ा जाए। Middle and ring fingers to be used for pouring havan samagri with the help of thumbs.

२. सभी लोग सुखासन में बैठे। Sit in comfortable posture

३. आहुति झुक कर डालें। इस तरह न फेंके, कि आधी धरती पर गिरे और आधी अग्नि में। Pour samagri delegantly right over the havan kund.

४. जब 'स्वाहा' शब्द बोला जाए, तभी सब लोग एक साथ आहुति डालें।

when swaha is pronounced then all should pour samagri

५.हवन-कुण्ड की अग्नि के सम्बन्ध में तथा आरती के समय दीपक के सम्बन्ध में आवश्यक सावधानी रखें। care to be taken for fire in havan and lamp fire.

यज्ञ के लिए आवश्यक सामग्री

यज्ञ तथा पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री पहले से ही मंगाकर रख लेनी चाहिए l  Following materials should be collected before starting homa

सामग्री / Materials

शुद्ध जल, गंगाजल, केसर, चन्दन, (घिसा हुआ) अक्षत, कुंकुम, पुष्प, बिल्वपत्र, दूर्वा, तुलसीदल, शमीपत्र, पुष्प-मालाएं, गाय का दूध-दही तथा घी, चीनी, शहद, गुलाबजल, गन्ने का रस, नारियल-जल, इत्र । भगवान को अर्पित करने के लिए वस्त्र, भगवान को पोंछने के लिए वस्त्र, रक्त-सूत्र (मौली)। यज्ञोपवीत, अबीर, गुलाल, सिन्दूर, भस्म । अगरबत्ती, धूप, गुग्गुल, कर्पूर, तिल का तेल, गौ-घृत, रूई (फूल बत्तियां), माचिस । नैवेद्य हेतु बताशे, पेड़े, लड्डू आदि। नारियल, बेर, अनार, केला, सेब आदि फल | पान, सुपारी, चूरा, इलायची, लवंग (लौंग)। सिक्के, रुपये।

Pure water,ganga water, saffron, sandal, rice , vermillion, flowers , bel leaves, grass, tulsi or basil leaf, shami leaff, milk, curd, ghee, sugar, honey, rose water, cocnut. Clother for god, sacred thread, yagyopvit , sindoor. Dhoop , incense sticks, guggal, camphor, seasme oil , coton and match box. sweets for offering and fruits.

स्वस्तिवाचन SWASTIVACHAN

यज्ञ में बैठने वालों पर तथा देवता व इष्ट पर पीले पुष्प या पीले अक्षत की वर्षा निम्न मंत्र बोल कर करें-

Offer flower and rice for all people sitting in havan

ॐ स्वस्तिनऽइन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्तिनस्ताक्ष्योऽअरिष्टनेमिः स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु ।

OM SWASTI NA INDRO VRIDHASHARVA SWASTI NAH POOSH VISHVEDA

SWASTINASTYAKSHO ARISHTNEMI SWASTINO BRIHASPATI DARDHATU

गुरु स्मरण

यज्ञ का प्रारम्भ गुरु स्मरण से करना चाहिए, क्योंकि हमारा प्रत्येक दिन हमारे लिए एक नया जीवन है, रात्रि के बाद जब व्यक्ति जागता है, तो वह एक नया जीवन लेकर उठता है। शास्त्रों में लिखा है कि जीवन का प्रारम्भ और अवसान गुरु-स्मरण से ही उचित है।

Starting of havan should be done with guru worship only as guru is the main deity for our success. Our starting and end of the day should be done with guru worship.

महाभारत के शान्ति पर्व में बताया गया है- किसी भी प्रकार की पूजा आदि के समय अपने दाहिने हाथ की ओर गुरु का आसन बिछा देना चाहिए, और यह भावना मन में लानी चाहिए, कि मेरे गुरुदेव बैठे हैं, और उनके निर्देशन में ही मैं पूजा, यज्ञ, साधना, अनुष्ठान, व्रत-उपवास या अन्य कोई भी कार्य सम्पन्न कर रहा हूं।

In Mahabharat it is told that one should provide seat on right hand side and mentally do the worship for getting success in havan. Also took the permission mentally from guru for havan.

विष्णु पुराण में बताया गया है- जब तक गुरु का आसन बिछा कर गुरु स्तवन न किया जाए, तब तक किसी भी पूजा या साधना में सफलता

प्राप्त नहीं होती। VISHNU PURAAN says until we should perform guru poojan, we cant get success in havan.

गुरु पादुका स्तवन / GURU PADUKA STAVAN

ॐ नमो गुरुभ्यो गुरु पादुकाभ्यो नमः परेभ्यः परपादुकाभ्यः ।

आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यो नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्यः ।।१।।

Om namo gurubhyo padukabhyo namah parebhyah parpadukabhyah

aacharya siddeshwar padukabhyo namo namah shri gurupadukabhya

ऐंकार ही कार रहस्ययुक्त श्रींकारगूढार्थ महाविभूत्या ।

ॐकारमर्मप्रतिपादिनीभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।२।।

ainkaar hreenkaar rehasyayukt shreemkaar gudaarth mahavibhutya

omkar marm pratipadinibhyam namo namah shri gurupadukabhyam

होत्राग्नि होत्राग्निहविष्यहोत होमादिसर्वाकृतिभासमानम् ।

यद् ब्रह्म तद्बोधवितारिणीभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।३।।

hotragni hotragni vishyahot homadi sarvakriti bhaasanaam

yad brahma tadbho dhavitarini bhyam namo namah  shri guru padukbhyam

कामादिसर्पव्रजगारुडाभ्यां विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्याम् ।।

बोधप्रदाभ्यां द्रुतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।४।।

kamadi sarp vajra garudabhyam vivek vairagya nidhipradabhyam

अनन्त संसारसमुद्रतार नौकायिताभ्यां स्थिरभक्तिदाभ्याम् ।

anant sansaarsamudrataar naukayitabhyam sthir bhaktidabhyam

जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् । ।।५।।

jadyabdhi sanshonan vadvabhyam namo namah shri guru padukkabhyam

ॐ शान्तिः! शान्तिः!! शान्तिः ।।

om shantih shantih shantih

 

 

यज्ञ-विधान

पवित्रीकरण

पवित्रीकरण के लिए बाएं हाथ में जल लेकर दाहिनी हथेली से बंद कर निम्न मंत्र बोले-  For purification took water on right hand and close it and chant below mantra

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यान्तरः शुचिः ।

om apavitrah pavitro va sarvastham gatopi va

yah smaret pundrikaksham sa brhmybhayantarah suchi

मंत्र पूरा होने के बाद इस अभिमंत्रित जल को दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने सम्पूर्ण शरीर पर छिड़क दें। After chanting mantra drop water over yourself

आचमन  AACHMAN

आंतरिक और बाह्य शुद्धि के लिए पंचपात्र से आचमनी द्वारा जल लेकर तीन बार निम्न मंत्रों के उच्चारण के साथ जल को पी लें-

For internal and external purficaiton took water and with chanting of belwo mantra, drink it

ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।   Om amritopastaranmasi swaha

ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा। Om amrita pidhanmasi swaha

ॐ सत्यं यशः श्रीमयि श्रीःश्रयतां स्वाहा। Om satyam yashah shrimai shreeh shrayanta swaha

ॐ नारायणाय नमः । बोल कर हाथ धो लें।

om narayanay namah , wash your hands

शिखा बन्धन  SHIKHA BANDHAN

तदुपरान्त शिखा पर दाहिना हाथ रखकर मस्तिष्क में स्थिर चिद्रूपिणी महामाया दिव्य तेजस् शक्ति का ध्यान करते हुए अपने सिर पर दाहिना हाथ रखें, जिससे साधना में प्रवृत्त होने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त हो सके-

Place you right hand on shikha part and visualise high frequency light over their which gives you powers to get success in havan

चिद् रूपिणि महामाये दिव्य तेजः समन्विते ।

तिष्ठ देवि! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे ।।

Chidd rupini maha maye divya tejah samanvite

tisht devi shikhamadhye tejo vridhim kurushva me

प्राणायाम  PRANAYAM

निम्न मंत्र का उच्चारण करते समय बाएं हाथ की हथेली पर दाहिने हाथ की कोहनी रखें और उंगलियां बन्द करके केवल अंगूठे से नाक का

दाहिना स्वर बन्द कर लें और बाएं से श्वास खींचते समय तेजस्वी प्राण का ध्यान करना चाहिए, कुछ देर श्वास अन्दर रोके रखें, तत्पश्चात् कनिष्ठिका एवं मध्यमा उंगलियों से नाक का बायां छिद्र बन्द करें तथा दाहिने नाक से श्वास छोड़ देना चाहिए, श्वास प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे और निम्न मंत्र को मन ही मन जप करते हुए करें-

Take deep breathe and chant below mantra

ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ

सत्यम् । ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः

प्रचोदयात् । ॐ आपोज्योतिरसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ।

OM bhuvah om swaha om maha om janah om tapah om satyam om tatsaviturvarenyam bhargo devasya dhimahi dhiyo yo nah prachodyat. om aapo jyotirsoamritam brahm bhur bhavah swaha om

 

न्यास  NYAS

बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध पांचों उंगलियों से निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते समय ऐसी भावना रखनी चाहिए, कि वे सभी अंग शक्तिशाली, पवित्र और महा तेजस्वी बन रहे हैं- Took water on left hand and touch the right hand fingers on each part as per below mantras

ॐ वाङ्गमे आस्येऽस्तु (मुख को)

Om vangame aasyeastu -  mouth

ॐ नसोऽर्मे प्राणोऽस्तु (नासिका के दोनों छिद्रों को)

om narsome pranostu - nose

ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु (दोनों नेत्रों को)

om aksharnome chakshurastu – both eyes

ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु (दोनों कानों को)

om karnyome shotramastu – both ears

ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु (दोनों बांहों को)

om bahorme balmastu – both hands

ॐ ऊवोर्मे ओजोऽस्तु (दोनों जंघाओं को)

om urvome ojostu – both thights

ॐ अरिष्टानि. अङ्गानि सन्तु (शरीर के सभी अंगों पर जल छिड़कें)

om arishtani angani santu – sprinkle water on all body

आसन पूजन  AASAN PUJAN

निम्न मंत्र पढ़कर आसन के नीचे अक्षत, पुष्प व जल अर्पित करें और पृथ्वी माता से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें- Chant below mantra and offer rice , water and flowers to earth

ॐ ह्रीं क्ली आधारशक्ति कमलासनाय नमः

om hreem kleem aadharshakti kamalasnaaye namah

ॐ पृथ्वि! त्वया धृतालोका देवि! त्वं विष्णुना धृता

त्वं च धारय मा देवि! पवित्रा कुरु चासनम् ।

om prithvi tvya dhritaloka devi , twam vishnuna dhrita tvam cha dharya ma devi , pavitra kuru chasnam

ॐ आधारशक्तये नमः, ॐ कूर्मासनाय नमः, ॐ अनन्तासनाय

नमः, ॐ विमलासनाय नमः, ॐ आत्मासनाय नमः ।

om aadharshaktye namah , om kurmasnaay namah , om anantasnaay namah , om vimlasnaay namah , om aatmasnaaye namah

दिग्बन्ध   DIGBANDH

ॐ अपसर्पन्तु ते भूताः ये भूता भूमिसंस्थिताः ।

ये भूताः विघ्नकर्ता रस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।।

अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् ।

सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्म समारभ।

Om apsarpantu te bhootah ye bhoota bhumisansithah

ye bhootah vighnakarta raste nashyantu shivagyaa

apkramantu bhutani pisaachah sarvto disham

sarveshamvirodhen pooja karma samarambh

यह उच्चारण करते हुए चारों दिशाओं में, ऊपर और नीचे जल या अक्षत छिड़क दें, तत्पश्चात् अपनी बाई एड़ी से भूमि पर तीन बार आघात करें।

while chanting above mantra, throw rice on all direction and hit left foot ankle on earth 3 times

भूमि शुद्धि  Earth Purification

इतने विस्तारपूर्वक भूतशुद्धि न कर सकें, तो कम-से-कम “ॐ हंसः सोऽहं" के स्मरण से अपने मन की भावना निष्पाप, अमृत-चैतन्य रूपेण करनी चाहिए।

chant the mantra = om hansa soaham = 11 times

संकल्प Sankalp

साधक हाथ में जल लेकर संकल्प करें-

Take water on right hand and chant below mantra

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्रीब्रह्मणः द्वितीय परार्द्ध श्वेतवाराह कल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे

अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुक क्षेत्रे, अमुक नगरे, अमुक नाम संवत्सरे, अमुक अयने, अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक पुण्यतिथौ, अमुक वासरे, सर्वेषु ग्रहेषु यथायथं राशिस्थानस्थितेषु, अमुक नाम, अमुक गोत्रोत्पन्नोह, अमुक देवता प्रीत्यर्थे यथा ज्ञानं, यथा मिलितोपचारैः पूजनं करिष्ये, तदङ्गत्वेन हवि कर्म च करिष्ये ।।

Om vishnu vishnu vishnu shrimad bhagwato maha purushashya vishnoragya pravartmanasya adhy shri brahmanah ditya prardhe shwetvarah kalpe vaivaswatmanvantre ashtvinshatitme kaliyuge kali prathamcharne jambu dweepe bharatvarshe ( place name) , amut samvat (samvat name) , amuk ayne( uttarayan or dakshinayan) amuk maase( month name) , amuk pakshe ( shukla paksh or krishna paksha) , amut tithi (date) , amuk vasre (week name), sarveshu grehshu yathayatham rashisthan sthiteshu , amuk naam ( self name), amuk gotra(gotra) , amuk devta( deity name), preetyarthe yatha gyanam yatha militaupchaarah poojan karishye , tadgatwen havi karma cha karishye.

दक्षिण हाथ में जल, गंधाक्षत, पुष्प, सुपारी आदि मंगल द्रव्य लेकर उपर्युक्त प्रकारेण उच्चारण करके निर्माल्यपात्र में उसे छोड़ दें।

Have water,rice,flower etc in right hand and chant above mantra and then pour in floor.

कलश स्थापना KALASH STHAPANA – WATER POT

जल तथा कुंकुम से यंत्र बनाकर, निम्न मंत्र बोलकर कलश स्थापन देव के दाहिनी ओर (अपने बायीं ओर) करें-

With kumkum and water make the yantra and put kalash over it with chanting below mantra

ॐ आधार शक्तिभ्यो नमः । Om aadhaar shaktibhyo namah

 उस पर कुंकुम या केसर की नौ बिन्दियां लगाएं, स्वस्तिक का चित्र अंकित करेंl Put 9 dots and draw swastika on kalash

गन्धाक्षत, पुष्प जल में डालकर तीर्थों का आवाहन करें-

place scent, vermillion, coin, flower , rice in kalash and chant below mantra

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति

नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधि कुरु

gange cha yamune chaiv godavri saraswati

narmade sindhu kaveri jaleasmin sannidhi kuru.

दीपक पूजन

दीपक को प्रज्वलित करके, बाजोट पर चन्दन से त्रिकोण बनाकर, उस पर प्रतिष्ठित करें तथा गन्धाक्षत, पुष्प से निम्न मंत्रों द्वारा पूजन करें-

Make a triangle with sandal on table and place lamp over it. light a lamp and offer rice and flowers and chant below mantra

ॐ अग्नियोतियोतिरग्निः स्वाहा । सूर्योज्योतियोतिः सूर्यः

स्वाहा। अग्निवर्ची ज्योतिर्वर्ध्वः स्वाहा । सूर्यो वर्ची ज्योतिर्वर्च्च:

स्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूयो ज्योतिः स्वाहा ।

om agni jyotiragni swaha, suryajyoti jyoti surya swaha , agnivarchi jyotivardhavah swaha , suryo carchi jyoticarchah swaha , jyotih suryah suryo jyoti swaha

श्री गुरु पूजन  SHIR GURU PUJAN

नित्य देव पूजन के प्रारम्भ में या अन्त में श्री गुरु चरण स्मरण का अनिवार्य विधान है।  GURU PUJAN is must for success in havan

श्री गुरु ध्यान  Meditation on guru

श्रीगुरु चरणकमले भ्यो नमः ध्यानं समर्पयामि

shri guru charan kamlebhyo namah dhyanam samarpyami

meditate on guru photo

आवाहन  AAVAHAN – CALLING GURU

स्वरूपनिरूपण हेतवे श्री गुरवे नमः

स्वच्छप्रकाश-विमर्श-हेतवे श्रीपरमगुरवे नमः। स्वात्माराम

पञ्जरविलीनतेजसे श्रीपरमेष्ठि गुरवे नमः, आवाहयामि पूजयामि

OM SWAROOPNIRUPAN HETVE SHRI GURVE NAMAH, SWACHPRAKASH VIMARSH HETVE SHRI PARAM GURUVE NAMAH , OM SWATMARAM PANJAR VILEEN TEJSE SHRI PARMESHTHI GURVE NAMAH , AAVAHAYAMI PUJYAMI

Offer flowers, rice , sweets to guru and chant guru mantra for one to two minutes

श्री गणेश पूजन  GANESH PUJAN

हाथ में अक्षत, पुष्प, कुंकुम लेकर निम्न मंत्रों से विघ्न को दूर करने के लिए गणेश-विग्रह के सामने हाथ जोड़कर मंगलकामना करें-

Take rice,vermillion, flowers and offer to ganesha to remove all obstacles in havan

ध्यान

गणानां त्वा गणपति (गूं) हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति (गूं)

हवामहे निधीनां त्वा निधिपति (गूं) हवामहे वसो मम आहमजानि

गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्

गं गणपतये नमः ध्यानं समर्पयामि।

Om gananaam tva ganpati goo hava mahe priyanaam tva priyganpati goo havamahe , nidhinaam tva nidhipathe goo havamahe vaso mam, aahamjaani garbhdhama tvamajaasi garbhdham , om gan ganpatye namah dhyanam samarpyami

 

शिव पूजन SHIV PUJAN

श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः आवाहयामि, स्थापयामि पूजयामि ।।

Om shri Umamashewarabhyam aavahyami sthapyami pujyami

 

श्री लक्ष्मी पूजन  LAKSHMI PUJAN

श्रीलक्ष्मीदेव्यै नमः आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि

Shri lakshmi devyai namah aavahyami sthapyami pujyami

भगवती दुर्गा पूजन  DURGA PUJAN

 

श्री दुर्गायै नमः आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि

Om shri durgayai namah aavahyami sthapyami pujyami

संक्षिप्त नवग्रह पूजन  NINE PLANETS PUJAN

ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशिः भूमिसुतोबुधश्च

गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा शांतिकरा भवन्तु ।।

Brahmamurari stripurantkaari bhanuh shashih bhumi suto budhashch ,

gurush shukrah shani rahu ketveh sarve greha shantikara bhavantu

षोडश मातृका पूजन  SHODASH MATRIKA PUJAN

श्री षोडशमातृकाभ्यो नमः आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि

Om shri shodashmatrikabhyo namah aavahyami sthapyami pujyami

सप्त मातृका पूजन  SAPT MATRIKA PUJAN

श्री सप्तमातृकाभ्यो नमः।आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि ।।

Shri saptmatrikbhyo namah aavahyami sthapyami pujyami

भैरव पूजन  BHAIRAV PUJAN

ीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय  कल्पान्तदहनोपम।

भैरवाय  नमस्तुभ्यमनुज्ञा दातुमर्हसि ।।

भं  भैरवाय नमः।

Om teekshandrasht mahakay kalpaantdehnopam

bhairvay namastubhya manugya datu meharsi

om bhram bhairvaay namah

अग्नि स्थापन  FIRE PLACEMENT IN HAVAN KUND

निम्नलिखित मंत्रों से तीन पुष्प गुच्छों द्वारा अग्नि को आसन प्रदान करें, और एक चम्मच से कर्पूर अथवा घी में भीगी हुई रूई की मोटी बत्ती

जलाकर कुण्ड में अग्नि प्रज्वलित कर पंचोपचार पूजन करें-

Place wood on havan kund and place fire with the help of cotton to the woods. Also place camphor and offer flowers

अग्नये नमः अग्निम् आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि,

गन्धाक्षत, पुष्पाणि, धूप, दीप, नैवेद्यं समर्पयामि

Om agney namah, agrim avahayami sthapyami pujyami , gandhak akshat , pushpani , dhoop deep naivedyam samarpyami.

Offer rice, sweet, to the fire.

अग्नि प्रदीपन मंत्र FIRE SPREADING MANTRA

अग्निदेव को ऊर्ध्वमुखी होने की प्रार्थना करें-

अं अग्नये नमः  ऊर्ध्वमुखी भव।

Am agney namah urdhvmukhi bhav

अग्नि चैतन्य मंत्र FIRE DIVINITY MANTRA

अं अग्नये नमः चैतन्यो भव।

Am agney namah chaitanyo bhav

अग्नि चैतन्य होने की कामना करें, फिर आहुति प्रदान करें।

समिधाधानम्

यज्ञ-कुण्ड में अग्नि प्रज्वलित होने पर पतली, छोटी चार समिधायें घी में डुबोकर, निम्न मंत्रोच्चारण कर, एक-एक करके चार बार समिधा डालें

When fire starts at havan kund, took four small woods and dip in ghee and place in havan with each below four mantras

. अयन्त इध्म आत्मा जातवे दस्ते ने ध्यस्व वर्धस्व

चेद्ध वर्धय चासमान् प्रजया पशुभिर्ब्रह्मवर्चसे नान्नाद्येन

समेधय, स्वाहा। इदम् अग्नये जातवेदसे इदं मम

1.      Om ayant idham aatma jaatve daste ne dhyasv vardhasv

chedh vardhya chaasmaan prajya pashubhu brahmvarchasve naanadhen samedhya swaha, idam agney jaatvedse idam na mam

. समिधाग्नि दुवस्यत घृतै बो यतातिथिम्

अस्मिन् हव्या जुहोतन स्वाहा इदमग्नये जातवेदसे इदं मम

2. Om samidhagni duvsyat ghritai bodh yatatidhim asmin havya juhaten swaha, idam agney jaatvedse idam na mam

. सुसमिद्धाय शोचिसे घृतं तीव्र जुहोतन अग्नये जातवेदसे

स्वाहा। इदमग्नये जातवेदसे इदं म।।

3. Om susamidhaye shochise ghritam teevra juhotan, agney jaatvedse swaha , idamagneye jaatvedse idam na mam

. तं त्वा समद्धिभिरंगिरो घृतेन वर्धयामसि

बृहच्छोचा यविष्ठ्य स्वाहा। इदमग्नये अंगिरसे इदं मम ।।

4. Om ham twa samadhibhirangro ghriten vardhyamsi , brihachova yavishthya swaha , idamagney angirse idam na mam

आज्याहुति  SPECIAL AHUTI

निम्न मंत्रों को बोलते हुए घी से आज्याहुति दें-

Chant below each mantra and offer ghee on havan

प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये इदं मम ।।

Om prajapatye swaha idam prajapatye idam na mam

इन्द्राय स्वाहा। इदमिन्द्राय इदं इदं मम।।

om indray swaha idam indray idam na mam

अग्नये स्वाहा। इदमग्नये इदं मम।।

om agney swaha idam agney idam na mam

सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय इदं मम ।।

om somay swaha idam somay idam na mam

भूः स्वाहा। इदमग्नये इदं मम।।

om bhu swaha idam agney idam na mam

भुवः स्वाहा। इदं वायवे इदं मम।।

om bhuvah swaha idam vayve idam na mam

स्वः स्वाहा। इदं सूर्याय इदं मम ।।

om swah swaha idam suryay idam na mam

 

फिर निम्न मंत्रों से आहुति दें- Now do ahuti with below mantra

विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे इदं मम।।

om vishnave swaha idam vishnave idam na mam

शंभवे स्वाहा। इदं शंभवे इदं मम

om shambhave swaha idam shambhave idam na mam

लक्ष्म्यै स्वाहा। इदं लक्ष्म्यै इदं मम।।

om lakshmai swaha idam lakshmai idam na mam

सरस्वत्यै स्वाहा। इदं सरस्वत्यै इदं मम।

om sarasvatyai swaha idam sarasvatyai idam na mam

भूम्यै स्वाहा। इदं भूम्यै  इदं मम।

om bhumyai swaha idam bhumyai idam na mam

सूर्याय स्वाहा। इदं सूर्याय इदं मम।

om suryay swaha idam suryay idam na mam

चन्द्रमसे  स्वाहा। इदं चन्द्रमसे इदं मम।

om chandramse swaha idam chadramse idam na mam

भौमाय स्वाहा। इदं भौमाय इदं मम।

om bhoumaye swaha idam bhoumaye idam na mam

बृहस्पतये स्वाहा इदं बृहस्पतये इदं मम

om brihaspatye swaha idam brihaspatye idam na mam

शुक्राय स्वाहा।  शुक्राय इद मम।

om shukray swaha idam shukray idam na mam

शनैश्चराय स्वाहा। इदं शनैश्चराय इदं मम

om shaneshcharaye swaha idam shaneshcharaye idam na mam

भैरवाय नमः स्वाहा। इदं भैरवाय इदं मम |

Om bhairvay namah swaha idam bhairvay idam na mam

राहवे स्वाहा। इदं राहवे इदं मम।

om rahve swaha idam rahve idam na mam

केतवे स्वाहा। इद केतवे इदं मम।

om ketve swaha idam ketve idam na mam

उग्राय स्वाहा। इदं उग्राय इदं मम।

om ugray swaha idam ugray idam na mam

शतक्रतवे स्वाहा। इदं शतक्रतवे इदं मम

om shatkratve swaha idam shatkratve idam na mam

वरुणाय स्वाहा। इदं वरुणाय इदं

om varunaaye swaha idam varunaaye idam na mam

पितृभ्यो नमः स्वाहा। इदं पितृभ्यो इदं मम

om pitrebhyo namah swaha idam pitrebhyo idam na mam

गन्धर्वेभ्यो नमः स्वाहा। इदं गंधर्वेभ्यो इदं मम

om ghandharvebhyo namah swaha idam gandharvebhyo idam na mam

यक्षेभ्यो नमः स्वाहा इद यक्षेभ्यो इदं मम

om yakshebhyo namah swaha idam yakshebhyo idam na mam

नागेभ्यो नमः स्वाहा इद नागेभ्यो इदं मम

om nagebhyo namah swaha idam nagebhyo idam na mam

पिशाचेभ्यो नमः स्वाहा, इदं पिशाचेभ्यो इदं मम

om pisachebhyo namah swaha idam pisachebhyo idam na mam

राक्षसेभ्यो नमः स्वाहा इद राक्षसेभ्यो इदं मम

om rakshebhyo namah swaha idam rakshebhyo idam na mam

स्थान देवातभ्यो नमः स्वाहा।

om sthan devtabhyo namah swaha

कुलदेवताभ्यो नमः स्वाहा।

om kuldevtabhyo namah swaha

  ग्राम देवताभ्यो नमः स्वाहा।

om gram devtabhyo namah swaha

दश दिक्पालेभ्यो नमः स्वाहा।

om dash dikpalebhyo namah swaha

सवों भ्यो देवशक्तिभ्यो स्वाहा।

om sarvebhyo devshaktibhyo swaha

सर्वेभ्यो देवपुरुष भ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo devpurushbhyo namah swaha

सर्वेभ्यो महाप्राणेभ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo maha pranebhyo namah swaha

सर्वेभ्यो आदित्येभ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo adityebhyo namah swaha

सर्वाभ्यो मातृशक्तिभ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo matrashaktibhyo namah swaha

सर्वेभ्यो तीथेभ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo teerthebhyo namah swaha

सर्वाभ्यो महाविद्याभ्यो नमः स्वाहा।

om sarvebhyo mahavidhyabhyo namah swaha

 

MOOL MANTRA OF DEITY

Now do the havan of your main mantra here as per details.

 

पूर्णाहुति PURNA AHUTI = FINAL AHUTI

पात्र में सुपारी या नारियल पर घी लेकर एक चुटकी हवन-सामग्री लें। 'स्वाहा' उच्चारण के साथ आहुति छोड़ें-

Take supari or coconut dipped in ghee and pour left out havan samagri over the havan with below mantra

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते

पूर्णस्य पूर्ण मादाय पूर्ण मे वावशिष्यते ।।

Poornamadah poornamidam purnaat purnamudachyate

purnasya purna madaay purna me vavashisyate

पूर्णादर्वि परापत  सुपूर्णा पुनरापत।

वस्नेय विक्रीणा वहा इषमूर्ज (गूं) शतक्रतो स्वाहा

सर्वं  वै पूर्ण (गूं) स्वाहा।।

Om purnadarvi parapaat supurna punrapat

vasney vikreena vaha ishmurj goom shatkreto swaha

Om sarv vai purna goom swaha

वसोधारा  VASODHARA – FINAL GHEE AHUTI

वसोधारा हेतु धी की अविच्छिन्न धारा हवन कुंड में टपकाई जाती है। पास में घी भरकर ऐसे घी टपकाये, कि घी की धारा टूटे नहीं, निम्न मंत्र उच्चारण करें-

Take ghee on some vessel and pour over havan kund like continuous flow like fountain with below mantra

ॐवसोः पवित्रमसि शतधारे बसोः पवित्रमसि सहसथारम्।

देवस्त्या सविता पुनातु बसोः पवित्रण शतधारेण सुप्या कामभुक्षः स्वाहा

Om vasoh pavitra masi shat dhaare basoh pavitramasi sahastradharam devsatya savita punatu basoh pavitren shat dharen supya kambhukshah swaha

 

भस्म धारण  APPLYING BHASM

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।

Om trayambakam yaja mahe sugandhim pusthi vardhanam urvarukmev bandhanan mrityomurkshiy mamritaat

chant the mantra , do the arti or the deity or stuti or any stotram and took bhasm from havankund and apply on forehead

क्षमा प्रार्थना APOLOGISNG FOR MISTAKE

प्रत्येक साधक को क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहि जिससे यज्ञ में अज्ञानवश कोई भूल हो गई हो या त्रुटि रह गई हो तो, कारण यज्ञ व्यर्थ जाए।

We must chant below mantra for apologising any mistake done during havan in any means like pronounciation, left out etc so that we get full benefits of havan

आवाहानं जानामि नैव जानामि पूजनम्

विसर्जन नैव जानामि क्षमस्व परमेश्वर ।।

मंत्रहीन क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु

यदक्षरं पदं भ्रष्ट मात्राहीन यद् भवेत्

तत्सर्व क्षम्यता देवि! प्रसीद परमेश्वरि ।।

Aavahanam na janami naiv janami pujanam

visarjanam naiv janami kshamasv parmeshwar

yatpujitam maya devi paripurna tadastu

yadsharam padam bhrasht matraheen cha yad bhavet

tatsarv kshamyta devih praseed parmeshwari

तो मैं आवाहन करना जानता हूं, विसर्जन करना जान हूं और पूजा करना ही जानता हूं। हे परमेश्वरी! क्षमा करो। हे सुरेश्वरी! मैंने जो मंत्रहीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन   किया है, वह सब आपकी दया से पूर्ण हो

I dont know calling , i dont know offering and even i dont know worship ritual but oh goddess please aplogise me for any mistake in mantra and in any ritual and bless me that it will be completed by your grace

शांति पाठ  SHANTI PATH – PEACE MANTRA

कलश के जल से पुष्प या आम्रपत्र द्वारा उपस्थित लोगों पर अभिसिंचन करें- Take flower and dip in pot water and sprinkle all over the room

द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष (गूं)  शांतिः पृथिवी शान्तिरापः

शान्ति रोषधयः शान्ति वनस्पतयः शान्तिर्विश्वे देवाः

शान्तिब्रहाशान्तिः सर्व (गूं)  शांतिः शान्तिरेव शान्तिः

सा मा शान्तिरेधि। शान्तिः शान्तिः!! शान्ति!!!

Om ghoh shanti antriksh goom shantih prithvi shantirapah

shanti roshadhyah shanti vanaspatyah shanti vishvre devah

shanti brahm shantih sarv goom shantih shantirev shantih

विसर्जन मंत्र  VISARJAN MANTRA

आवाहन किए गए देवी-देवताओं को भावभरी विदाई देते हुए पूजा वेदी पर अक्षत, पुष्प बरसाये जाते हैं विसर्जन के साथ भावना

रहे, कि देव अनुग्रह बार-बार मिलता रहे

Proper departure of all called gods and goddess with rice and flower with below mantra to give success in havan.

गच्छ त्वं भगवन्नग्ने! स्वस्थाने कुण्डमध्यतः।

हुतमादाय देवेभ्यः शीघ्र देहि प्रसीद में।।

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर।

यत्र ब्रह्मादयो देवाः तत्र गच्छ हुताशन ।।

यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम्

इष्टकाम समृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।

Gach tvam bhagwanagne svasthane kund madhyatah

hutmadaay devebhyah sheegra dehi praseed me

gach gach sur shreshtha svasthane parmeshwar

yatra brahmadyo devah tatra gach hutashan

yantu devganah sarve pujamadaay maamkeem

ishtkaam samridyartham punar aagmanay cha


HAVAN PROCEDURE

यज्ञ की महत्ता / HAVAN IMPORTANCE   यो यज्ञैः यज्ञ परयैरिञ्चते तंत्र संज्ञितः। तं यज्ञ पुरुषं विष्णुं नमामि प्रभुमीश्वरम् ...