यज्ञ की महत्ता/ HAVAN IMPORTANCE
यो यज्ञैः यज्ञ
परयैरिञ्चते तंत्र संज्ञितः।
तं यज्ञ
पुरुषं विष्णुं नमामि प्रभुमीश्वरम् ।।
“जो
यज्ञ द्वारा
पूजे जाते
हैं, यज्ञमय
हैं, यज्ञ
रूप हैं,
उन यज्ञ
रूप विष्णु
भगवान को
नमस्कार है।" The one who worship as homa deity , i
bow down to lord vishnu who is main homa god.
सामान्य यज्ञ में प्रयुक्त होने
वाले उपकरणों की व्यवस्था
हवन-कुण्ड को आकर्षक एवं सुरुचिपूर्ण सजाना चाहिए।
कुण्ड के चारों ओर हल्दी, रोली, आटे से चौक पूरना चाहिए। स्नानादि से निवृत्त हो, शुद्ध वस्त्र पहिन
कर,
शुद्ध
भारतीय वेशभूषा में हवन करें।
Havan kund should be
made attractive and should be decorated by turmeric powder or some flours.
After taking bath one should sit for homa and should wear spritual dress for
doing homa.
कुण्ड के ईशान कोण में कलश स्थापन करना चाहिए। कलश
पर आम के पत्तों का उपयोग कर कलश के ऊपर ढक्कन में चावल, गेहूं का आटा या मांगलिक द्रव्य
रखना चाहिए। कलश के चारों ओर कुंकुम या हल्दी से स्वस्तिक (मांगलिक चिह) अंकित कर
दें।
In the north east of
havan kund , water pot or kalash is to be placed and decorated with mango
leaves and flours. Draw swastik in kalash or water pot with kumkum or turmeric
powder.
पूर्व दिशा में जिधर कलश स्थापित हो ,उधर यज्ञकर्ता
(आचार्य) बैठे। (आचार्य ब्रह्म स्वरूप होता है) अब यजमान आचार्य के दाएं हाथ में
कलावा बांधे और रोली से तिलक कर चरण स्पर्श करे।
On the east , main
homa person is to be sit and others on the left side.
समिधा (लकड़ी) आम, पीपल, ढाक, बरगद आदि की ली जा सकती है। नीम, बबूल की लकड़ी काम
में नहीं आती। लकड़ी सूखी, छोटी कटी हुई, आठ-दस इंच से लम्बी न हो।
woods should be
small , well dried to be used and its better to have mango, peepal , vat woods
if possible.
अग्नि प्रवेश के लिए बहुत छोटी छोटी लकड़ियां रहनी
चाहिए। समिधाधान के लिए चार लकड़िया भी पहले से ही तैयार रखें।
woods should be
small at bottom and four woods to be place separate for main samidha
आहुति देते समय निम्न सावधानियां रखें- Points to be note down for homa
१. मध्यमा और अनामिका उंगलियों पर सामग्री ली जाए और
अंगूठे का सहारा लेकर उसे अग्नि में छोड़ा जाए। Middle and ring fingers to be used for pouring havan samagri with the
help of thumbs.
२. सभी लोग सुखासन में बैठे। Sit in comfortable posture
३. आहुति झुक कर डालें। इस तरह न फेंके, कि आधी धरती पर
गिरे और आधी अग्नि में। Pour samagri delegantly right over the
havan kund.
४. जब 'स्वाहा' शब्द बोला जाए, तभी सब लोग एक साथ आहुति डालें।
when swaha is
pronounced then all should pour samagri
५.हवन-कुण्ड की अग्नि के सम्बन्ध में तथा आरती के
समय दीपक के सम्बन्ध में आवश्यक सावधानी रखें। care to be taken for fire in havan and lamp fire.
यज्ञ के लिए आवश्यक सामग्री
यज्ञ तथा पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री पहले से ही
मंगाकर रख लेनी चाहिए l
Following materials should be collected before starting homa
सामग्री / Materials
शुद्ध जल, गंगाजल, केसर, चन्दन, (घिसा हुआ) अक्षत, कुंकुम, पुष्प, बिल्वपत्र, दूर्वा, तुलसीदल, शमीपत्र, पुष्प-मालाएं, गाय का दूध-दही तथा
घी,
चीनी, शहद, गुलाबजल, गन्ने का रस, नारियल-जल, इत्र । भगवान को
अर्पित करने के लिए वस्त्र, भगवान को पोंछने के लिए वस्त्र, रक्त-सूत्र (मौली)।
यज्ञोपवीत, अबीर, गुलाल, सिन्दूर, भस्म । अगरबत्ती, धूप, गुग्गुल, कर्पूर, तिल का तेल, गौ-घृत, रूई (फूल बत्तियां), माचिस । नैवेद्य
हेतु बताशे, पेड़े, लड्डू आदि। नारियल, बेर, अनार, केला, सेब आदि फल | पान, सुपारी, चूरा, इलायची, लवंग (लौंग)।
सिक्के,
रुपये।
Pure water,ganga
water, saffron, sandal, rice , vermillion, flowers , bel leaves, grass, tulsi
or basil leaf, shami leaff, milk, curd, ghee, sugar, honey, rose water, cocnut.
Clother for god, sacred thread, yagyopvit , sindoor. Dhoop , incense sticks,
guggal, camphor, seasme oil , coton and match box. sweets for offering and
fruits.
स्वस्तिवाचन SWASTIVACHAN
यज्ञ में बैठने वालों पर तथा देवता व इष्ट पर पीले
पुष्प या पीले अक्षत की वर्षा निम्न मंत्र बोल कर करें-
Offer flower and
rice for all people sitting in havan
ॐ स्वस्तिनऽइन्द्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्तिनस्ताक्ष्योऽअरिष्टनेमिः
स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु ।
OM SWASTI NA INDRO VRIDHASHARVA SWASTI NAH POOSH VISHVEDA
SWASTINASTYAKSHO ARISHTNEMI SWASTINO BRIHASPATI DARDHATU
गुरु स्मरण
यज्ञ का प्रारम्भ गुरु स्मरण से करना चाहिए, क्योंकि हमारा प्रत्येक
दिन हमारे लिए एक नया जीवन है, रात्रि के बाद जब व्यक्ति जागता है, तो वह एक नया जीवन
लेकर उठता है। शास्त्रों में लिखा है कि जीवन का प्रारम्भ और अवसान गुरु-स्मरण से
ही उचित है।
Starting of havan
should be done with guru worship only as guru is the main deity for our
success. Our starting and end of the day should be done with guru worship.
महाभारत के शान्ति पर्व में बताया गया है- किसी भी
प्रकार की पूजा आदि के समय अपने दाहिने हाथ की ओर गुरु का आसन बिछा देना चाहिए, और यह भावना मन में
लानी चाहिए, कि
मेरे गुरुदेव बैठे हैं, और उनके निर्देशन में ही मैं पूजा, यज्ञ, साधना, अनुष्ठान, व्रत-उपवास या अन्य
कोई भी कार्य सम्पन्न कर रहा हूं।
In Mahabharat it is
told that one should provide seat on right hand side and mentally do the
worship for getting success in havan. Also took the permission mentally from
guru for havan.
विष्णु पुराण में बताया गया है- जब तक गुरु का आसन
बिछा कर गुरु स्तवन न किया जाए, तब तक किसी भी पूजा या साधना में सफलता
प्राप्त नहीं होती। VISHNU PURAAN says until we should perform guru poojan, we cant get
success in havan.
गुरु पादुका स्तवन / GURU PADUKA STAVAN
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरु पादुकाभ्यो नमः परेभ्यः
परपादुकाभ्यः ।
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यो नमो नमः
श्रीगुरुपादुकाभ्यः ।।१।।
Om namo gurubhyo
padukabhyo namah parebhyah parpadukabhyah
aacharya siddeshwar
padukabhyo namo namah shri gurupadukabhya
ऐंकार ही कार रहस्ययुक्त श्रींकारगूढार्थ
महाविभूत्या ।
ॐकारमर्मप्रतिपादिनीभ्यां नमो नमः
श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।२।।
ainkaar hreenkaar
rehasyayukt shreemkaar gudaarth mahavibhutya
omkar marm
pratipadinibhyam namo namah shri gurupadukabhyam
होत्राग्नि होत्राग्निहविष्यहोत
होमादिसर्वाकृतिभासमानम् ।
यद् ब्रह्म तद्बोधवितारिणीभ्यां नमो नमः
श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।३।।
hotragni hotragni
vishyahot homadi sarvakriti bhaasanaam
yad brahma tadbho
dhavitarini bhyam namo namah shri guru
padukbhyam
कामादिसर्पव्रजगारुडाभ्यां विवेक वैराग्य
निधिप्रदाभ्याम् ।।
बोधप्रदाभ्यां द्रुतमोक्षदाभ्यां नमो नमः
श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।।४।।
kamadi sarp vajra
garudabhyam vivek vairagya nidhipradabhyam
अनन्त संसारसमुद्रतार नौकायिताभ्यां स्थिरभक्तिदाभ्याम्
।
anant
sansaarsamudrataar naukayitabhyam sthir bhaktidabhyam
जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्यां नमो नमः
श्रीगुरुपादुकाभ्याम् । ।।५।।
jadyabdhi sanshonan
vadvabhyam namo namah shri guru padukkabhyam
ॐ शान्तिः! शान्तिः!! शान्तिः ।।
om shantih shantih
shantih
यज्ञ-विधान
पवित्रीकरण
पवित्रीकरण के लिए बाएं हाथ में जल लेकर दाहिनी
हथेली से बंद कर निम्न मंत्र बोले- For purification took water on right hand and
close it and chant below mantra
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यान्तरः शुचिः ।
om apavitrah pavitro
va sarvastham gatopi va
yah smaret
pundrikaksham sa brhmybhayantarah suchi
मंत्र पूरा होने के बाद इस अभिमंत्रित जल को दाहिने
हाथ की उंगलियों से अपने सम्पूर्ण शरीर पर छिड़क दें। After chanting mantra drop water over yourself
आचमन AACHMAN
आंतरिक और बाह्य शुद्धि के लिए पंचपात्र से आचमनी
द्वारा जल लेकर तीन बार निम्न मंत्रों के उच्चारण के साथ जल को पी लें-
For internal and
external purficaiton took water and with chanting of belwo mantra, drink it
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा। Om amritopastaranmasi swaha
ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा। Om amrita pidhanmasi swaha
ॐ सत्यं यशः श्रीमयि श्रीःश्रयतां स्वाहा। Om satyam yashah shrimai shreeh shrayanta swaha
ॐ नारायणाय नमः । बोल कर हाथ धो लें।
om narayanay namah ,
wash your hands
शिखा बन्धन SHIKHA BANDHAN
तदुपरान्त शिखा पर दाहिना हाथ रखकर मस्तिष्क में
स्थिर चिद्रूपिणी महामाया दिव्य तेजस् शक्ति का ध्यान करते हुए अपने सिर पर दाहिना
हाथ रखें, जिससे
साधना में प्रवृत्त होने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त हो सके-
Place you right hand
on shikha part and visualise high frequency light over their which gives you
powers to get success in havan
चिद् रूपिणि महामाये दिव्य तेजः समन्विते ।
तिष्ठ देवि! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे ।।
Chidd rupini maha
maye divya tejah samanvite
tisht devi
shikhamadhye tejo vridhim kurushva me
प्राणायाम PRANAYAM
निम्न मंत्र का उच्चारण करते समय बाएं हाथ की हथेली
पर दाहिने हाथ की कोहनी रखें और उंगलियां बन्द करके केवल अंगूठे से नाक का
दाहिना स्वर बन्द कर लें और बाएं से श्वास खींचते
समय तेजस्वी प्राण का ध्यान करना चाहिए, कुछ देर श्वास अन्दर रोके रखें, तत्पश्चात्
कनिष्ठिका एवं मध्यमा उंगलियों से नाक का बायां छिद्र बन्द करें तथा दाहिने नाक से
श्वास छोड़ देना चाहिए, श्वास प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे और निम्न मंत्र को
मन ही मन जप करते हुए करें-
Take deep breathe
and chant below mantra
ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ
तपः ॐ
सत्यम् । ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः
प्रचोदयात् । ॐ
आपोज्योतिरसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ।
OM bhuvah om swaha om maha om janah om tapah om satyam om
tatsaviturvarenyam bhargo devasya dhimahi dhiyo yo nah prachodyat. om aapo
jyotirsoamritam brahm bhur bhavah swaha om
न्यास NYAS
बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध पांचों उंगलियों से निम्न
मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते समय ऐसी भावना रखनी चाहिए, कि वे सभी अंग
शक्तिशाली, पवित्र
और महा तेजस्वी बन रहे हैं- Took water on left
hand and touch the right hand fingers on each part as per below mantras
ॐ वाङ्गमे आस्येऽस्तु (मुख को)
Om vangame aasyeastu
- mouth
ॐ नसोऽर्मे प्राणोऽस्तु (नासिका के दोनों छिद्रों को)
om narsome pranostu
- nose
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु (दोनों नेत्रों को)
om aksharnome
chakshurastu – both eyes
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु (दोनों कानों को)
om karnyome
shotramastu – both ears
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु (दोनों बांहों को)
om bahorme balmastu –
both hands
ॐ ऊवोर्मे ओजोऽस्तु (दोनों जंघाओं को)
om urvome ojostu –
both thights
ॐ अरिष्टानि. अङ्गानि सन्तु (शरीर के सभी अंगों पर
जल छिड़कें)
om arishtani angani
santu – sprinkle water on all body
आसन पूजन AASAN PUJAN
निम्न मंत्र पढ़कर आसन के नीचे अक्षत, पुष्प व जल अर्पित
करें और पृथ्वी माता से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें- Chant below mantra and offer rice , water and flowers to earth
ॐ ह्रीं क्ली आधारशक्ति कमलासनाय नमः
om hreem kleem
aadharshakti kamalasnaaye namah
ॐ पृथ्वि! त्वया धृतालोका देवि! त्वं विष्णुना धृता
त्वं च धारय मा देवि! पवित्रा कुरु चासनम् ।
om prithvi tvya
dhritaloka devi , twam vishnuna dhrita tvam cha dharya ma devi , pavitra kuru
chasnam
ॐ आधारशक्तये नमः, ॐ कूर्मासनाय नमः, ॐ अनन्तासनाय
नमः, ॐ विमलासनाय नमः, ॐ आत्मासनाय नमः ।
om aadharshaktye
namah , om kurmasnaay namah , om anantasnaay namah , om vimlasnaay namah , om
aatmasnaaye namah
दिग्बन्ध DIGBANDH
ॐ अपसर्पन्तु ते भूताः ये भूता भूमिसंस्थिताः ।
ये भूताः विघ्नकर्ता रस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ।।
अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् ।
सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्म समारभ।
Om apsarpantu te
bhootah ye bhoota bhumisansithah
ye bhootah
vighnakarta raste nashyantu shivagyaa
apkramantu bhutani
pisaachah sarvto disham
sarveshamvirodhen
pooja karma samarambh
यह उच्चारण करते हुए चारों दिशाओं में, ऊपर और नीचे जल या
अक्षत छिड़क दें, तत्पश्चात्
अपनी बाई एड़ी से भूमि पर तीन बार आघात करें।
while chanting above
mantra, throw rice on all direction and hit left foot ankle on earth 3 times
भूमि शुद्धि Earth Purification
इतने विस्तारपूर्वक भूतशुद्धि न कर सकें, तो कम-से-कम “ॐ
हंसः सोऽहं" के स्मरण से अपने मन की भावना निष्पाप, अमृत-चैतन्य रूपेण
करनी चाहिए।
chant the mantra =
om hansa soaham = 11 times
संकल्प Sankalp
साधक हाथ में जल लेकर संकल्प करें-
Take water on right
hand and chant below mantra
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य
विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्रीब्रह्मणः द्वितीय परार्द्ध श्वेतवाराह कल्पे
वैवस्वतमन्वन्तरे
अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे
भारतवर्षे, अमुक
क्षेत्रे, अमुक
नगरे,
अमुक
नाम संवत्सरे, अमुक
अयने,
अमुक
मासे,
अमुक
पक्षे,
अमुक
पुण्यतिथौ, अमुक
वासरे,
सर्वेषु
ग्रहेषु यथायथं राशिस्थानस्थितेषु, अमुक नाम, अमुक गोत्रोत्पन्नोह, अमुक देवता प्रीत्यर्थे यथा
ज्ञानं,
यथा
मिलितोपचारैः पूजनं करिष्ये, तदङ्गत्वेन हवि कर्म च करिष्ये ।।
Om vishnu vishnu
vishnu shrimad bhagwato maha purushashya vishnoragya pravartmanasya adhy shri
brahmanah ditya prardhe shwetvarah kalpe vaivaswatmanvantre ashtvinshatitme
kaliyuge kali prathamcharne jambu dweepe bharatvarshe ( place name) , amut
samvat (samvat name) , amuk ayne( uttarayan or dakshinayan) amuk maase( month
name) , amuk pakshe ( shukla paksh or krishna paksha) , amut tithi (date) ,
amuk vasre (week name), sarveshu grehshu yathayatham rashisthan sthiteshu ,
amuk naam ( self name), amuk gotra(gotra) , amuk devta( deity name),
preetyarthe yatha gyanam yatha militaupchaarah poojan karishye , tadgatwen havi
karma cha karishye.
दक्षिण हाथ में जल, गंधाक्षत, पुष्प, सुपारी आदि मंगल
द्रव्य लेकर उपर्युक्त प्रकारेण उच्चारण करके निर्माल्यपात्र में उसे छोड़ दें।
Have
water,rice,flower etc in right hand and chant above mantra and then pour in
floor.
कलश स्थापना KALASH STHAPANA – WATER POT
जल तथा कुंकुम से यंत्र बनाकर, निम्न मंत्र बोलकर
कलश स्थापन देव के दाहिनी ओर (अपने बायीं ओर) करें-
With kumkum and
water make the yantra and put kalash over it with chanting below mantra
ॐ आधार शक्तिभ्यो नमः । Om aadhaar shaktibhyo namah
उस पर कुंकुम या केसर की नौ बिन्दियां लगाएं, स्वस्तिक का चित्र
अंकित करेंl Put 9 dots and draw swastika on kalash
गन्धाक्षत, पुष्प जल में डालकर तीर्थों का आवाहन करें-
place scent,
vermillion, coin, flower , rice in kalash and chant below mantra
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधि कुरु
gange cha yamune
chaiv godavri saraswati
narmade sindhu
kaveri jaleasmin sannidhi kuru.
दीपक पूजन
दीपक को प्रज्वलित करके, बाजोट पर चन्दन से त्रिकोण
बनाकर,
उस
पर प्रतिष्ठित करें तथा गन्धाक्षत, पुष्प से निम्न मंत्रों द्वारा पूजन करें-
Make a triangle with
sandal on table and place lamp over it. light a lamp and offer rice and flowers
and chant below mantra
ॐ अग्नियोतियोतिरग्निः स्वाहा । सूर्योज्योतियोतिः
सूर्यः
स्वाहा। अग्निवर्ची ज्योतिर्वर्ध्वः स्वाहा । सूर्यो
वर्ची ज्योतिर्वर्च्च:
स्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूयो ज्योतिः स्वाहा ।
om agni jyotiragni
swaha, suryajyoti jyoti surya swaha , agnivarchi jyotivardhavah swaha , suryo
carchi jyoticarchah swaha , jyotih suryah suryo jyoti swaha
श्री गुरु पूजन SHIR GURU PUJAN
नित्य
देव पूजन
के प्रारम्भ
में या
अन्त में
श्री गुरु
चरण स्मरण
का अनिवार्य
विधान है।
GURU PUJAN is must for success in havan
श्री गुरु ध्यान Meditation on guru
श्रीगुरु
चरणकमले भ्यो
नमः ध्यानं
समर्पयामि ।
shri guru charan
kamlebhyo namah dhyanam samarpyami
meditate on guru
photo
आवाहन AAVAHAN – CALLING GURU
ॐ
स्वरूपनिरूपण हेतवे
श्री गुरवे
नमः ।
स्वच्छप्रकाश-विमर्श-हेतवे
श्रीपरमगुरवे नमः।
ॐ स्वात्माराम
पञ्जरविलीनतेजसे श्रीपरमेष्ठि
गुरवे नमः,
आवाहयामि पूजयामि
।
OM SWAROOPNIRUPAN
HETVE SHRI GURVE NAMAH, SWACHPRAKASH VIMARSH HETVE SHRI PARAM GURUVE NAMAH , OM
SWATMARAM PANJAR VILEEN TEJSE SHRI PARMESHTHI GURVE NAMAH , AAVAHAYAMI PUJYAMI
Offer
flowers, rice , sweets to guru and chant guru mantra for one to two minutes
श्री गणेश पूजन GANESH PUJAN
हाथ
में अक्षत,
पुष्प, कुंकुम
लेकर निम्न
मंत्रों से
विघ्न को
दूर करने
के लिए
गणेश-विग्रह
के सामने
हाथ जोड़कर
मंगलकामना करें-
Take
rice,vermillion, flowers and offer to ganesha to remove all obstacles in havan
ध्यान
ॐ
गणानां त्वा
गणपति (गूं)
हवामहे प्रियाणां
त्वा प्रियपति
(गूं)
हवामहे
निधीनां त्वा
निधिपति (गूं)
हवामहे वसो
मम ।
आहमजानि
गर्भधमा
त्वमजासि गर्भधम्
।
ॐ
गं गणपतये
नमः ध्यानं
समर्पयामि।
Om gananaam tva
ganpati goo hava mahe priyanaam tva priyganpati goo havamahe , nidhinaam tva
nidhipathe goo havamahe vaso mam, aahamjaani garbhdhama tvamajaasi garbhdham ,
om gan ganpatye namah dhyanam samarpyami
शिव पूजन SHIV PUJAN
ॐ
श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः
आवाहयामि, स्थापयामि
पूजयामि ।।
Om shri
Umamashewarabhyam aavahyami sthapyami pujyami
श्री लक्ष्मी पूजन LAKSHMI PUJAN
श्रीलक्ष्मीदेव्यै नमः
आवाहयामि स्थापयामि
पूजयामि ।
Shri lakshmi devyai
namah aavahyami sthapyami pujyami
भगवती दुर्गा पूजन DURGA PUJAN
ॐ
श्री दुर्गायै
नमः आवाहयामि,
स्थापयामि, पूजयामि
।
Om shri durgayai
namah aavahyami sthapyami pujyami
संक्षिप्त नवग्रह पूजन NINE PLANETS PUJAN
ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः
शशिः भूमिसुतोबुधश्च ।
गुरुश्च
शुक्रः शनि
राहु केतवः
सर्वे ग्रहा
शांतिकरा भवन्तु
।।
Brahmamurari
stripurantkaari bhanuh shashih bhumi suto budhashch ,
gurush shukrah shani
rahu ketveh sarve greha shantikara bhavantu
षोडश मातृका पूजन SHODASH MATRIKA PUJAN
ॐ
श्री षोडशमातृकाभ्यो नमः
आवाहयामि, स्थापयामि,
पूजयामि ।
Om shri
shodashmatrikabhyo namah aavahyami sthapyami pujyami
सप्त मातृका पूजन SAPT MATRIKA PUJAN
श्री
सप्तमातृकाभ्यो नमः।आवाहयामि
स्थापयामि पूजयामि
।।
Shri saptmatrikbhyo
namah aavahyami sthapyami pujyami
भैरव पूजन BHAIRAV PUJAN
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पान्तदहनोपम।
भैरवाय नमस्तुभ्यमनुज्ञा दातुमर्हसि
।।
ॐ
भं भैरवाय नमः।
Om teekshandrasht
mahakay kalpaantdehnopam
bhairvay namastubhya
manugya datu meharsi
om bhram bhairvaay
namah
अग्नि स्थापन FIRE PLACEMENT IN HAVAN KUND
निम्नलिखित
मंत्रों से
तीन पुष्प
गुच्छों द्वारा
अग्नि को
आसन प्रदान
करें, और
एक चम्मच
से कर्पूर
अथवा घी
में भीगी
हुई रूई
की मोटी
बत्ती
जलाकर
कुण्ड में
अग्नि प्रज्वलित
कर पंचोपचार
पूजन करें-
Place
wood on havan kund and place fire with the help of cotton to the woods. Also
place camphor and offer flowers
ॐ
अग्नये नमः
। अग्निम्
आवाहयामि स्थापयामि
पूजयामि,
गन्धाक्षत,
पुष्पाणि, धूप,
दीप, नैवेद्यं
समर्पयामि ।
Om agney namah,
agrim avahayami sthapyami pujyami , gandhak akshat , pushpani , dhoop deep
naivedyam samarpyami.
Offer rice, sweet,
to the fire.
अग्नि प्रदीपन मंत्र FIRE SPREADING MANTRA
अग्निदेव
को ऊर्ध्वमुखी
होने की
प्रार्थना करें-
अं
अग्नये नमः ऊर्ध्वमुखी
भव।
Am agney namah
urdhvmukhi bhav
अग्नि चैतन्य मंत्र FIRE DIVINITY MANTRA
अं
अग्नये नमः
चैतन्यो भव।
Am agney namah
chaitanyo bhav
अग्नि
चैतन्य होने
की कामना
करें, फिर
आहुति प्रदान
करें।
समिधाधानम्
यज्ञ-कुण्ड में
अग्नि प्रज्वलित
होने पर
पतली, छोटी
चार समिधायें
घी में
डुबोकर, निम्न
मंत्रोच्चारण कर,
एक-एक
करके चार
बार समिधा
डालें
When fire starts at
havan kund, took four small woods and dip in ghee and place in havan with each
below four mantras
१.
ॐ अयन्त
इध्म आत्मा
जातवे दस्ते
ने ध्यस्व
वर्धस्व ।
चेद्ध
वर्धय चासमान्
प्रजया पशुभिर्ब्रह्मवर्चसे नान्नाद्येन
समेधय,
स्वाहा। इदम्
अग्नये जातवेदसे
इदं न
मम ।
1.
Om ayant idham aatma
jaatve daste ne dhyasv vardhasv
chedh vardhya
chaasmaan prajya pashubhu brahmvarchasve naanadhen samedhya swaha, idam agney
jaatvedse idam na mam
२. ॐ
समिधाग्नि दुवस्यत
घृतै बो
ध यतातिथिम्
।
अस्मिन्
हव्या जुहोतन
स्वाहा ।
इदमग्नये जातवेदसे
इदं न
मम ।
2. Om samidhagni
duvsyat ghritai bodh yatatidhim asmin havya juhaten swaha, idam agney jaatvedse
idam na mam
३.
ॐ सुसमिद्धाय
शोचिसे घृतं
तीव्र जुहोतन
। अग्नये
जातवेदसे
स्वाहा।
इदमग्नये जातवेदसे
इदं न
म।।
3. Om susamidhaye
shochise ghritam teevra juhotan, agney jaatvedse swaha , idamagneye jaatvedse
idam na mam
४.
ॐ तं
त्वा समद्धिभिरंगिरो घृतेन
वर्धयामसि ।
बृहच्छोचा
यविष्ठ्य स्वाहा।
इदमग्नये अंगिरसे
इदं न
मम ।।
4. Om ham twa
samadhibhirangro ghriten vardhyamsi , brihachova yavishthya swaha , idamagney
angirse idam na mam
आज्याहुति SPECIAL AHUTI
निम्न
मंत्रों को
बोलते हुए
घी से
आज्याहुति दें-
Chant
below each mantra and offer ghee on havan
ॐ
प्रजापतये स्वाहा।
इदं प्रजापतये
इदं न
मम ।।
Om prajapatye swaha
idam prajapatye idam na mam
ॐ
इन्द्राय स्वाहा।
इदमिन्द्राय इदं
इदं न
मम।।
om indray swaha idam
indray idam na mam
ॐ
अग्नये स्वाहा।
इदमग्नये इदं
न मम।।
om agney swaha idam
agney idam na mam
ॐ
सोमाय स्वाहा।
इदं सोमाय
इदं न
मम ।।
om somay swaha idam somay
idam na mam
ॐ
भूः स्वाहा।
इदमग्नये इदं
न मम।।
om bhu swaha idam
agney idam na mam
ॐ
भुवः स्वाहा।
इदं वायवे
इदं न
मम।।
om bhuvah swaha idam
vayve idam na mam
ॐ
स्वः स्वाहा।
इदं सूर्याय
इदं न
मम ।।
om swah swaha idam
suryay idam na mam
फिर
निम्न मंत्रों
से आहुति
दें-
Now do ahuti with below mantra
ॐ
विष्णवे स्वाहा।
इदं विष्णवे
इदं न
मम।।
om vishnave swaha idam
vishnave idam na mam
ॐ
शंभवे स्वाहा।
इदं शंभवे
इदं न
मम ।
om shambhave swaha
idam shambhave idam na mam
ॐ
लक्ष्म्यै स्वाहा।
इदं लक्ष्म्यै
इदं न
मम।।
om lakshmai swaha
idam lakshmai idam na mam
ॐ
सरस्वत्यै स्वाहा।
इदं सरस्वत्यै
इदं न
मम।
om sarasvatyai swaha
idam sarasvatyai idam na mam
ॐ
भूम्यै स्वाहा।
इदं भूम्यै इदं
न मम।
om bhumyai swaha
idam bhumyai idam na mam
ॐ
सूर्याय स्वाहा।
इदं सूर्याय
इदं न
मम।
om suryay swaha idam
suryay idam na mam
ॐ
चन्द्रमसे स्वाहा। इदं
चन्द्रमसे इदं
न मम।
om chandramse swaha
idam chadramse idam na mam
ॐ
भौमाय स्वाहा।
इदं भौमाय
इदं न
मम।
om bhoumaye swaha
idam bhoumaye idam na mam
ॐ
बृहस्पतये स्वाहा
। इदं
बृहस्पतये इदं
न मम
।
om brihaspatye swaha
idam brihaspatye idam na mam
ॐ
शुक्राय स्वाहा। शुक्राय
इद न
मम।
om shukray swaha
idam shukray idam na mam
ॐ
शनैश्चराय स्वाहा।
इदं शनैश्चराय
इदं न
मम ।
om shaneshcharaye
swaha idam shaneshcharaye idam na mam
ॐ
भैरवाय नमः
स्वाहा। इदं
भैरवाय इदं
न मम
|
Om bhairvay namah swaha idam bhairvay idam na mam
ॐ
राहवे स्वाहा।
इदं राहवे
इदं न
मम।
om rahve swaha idam
rahve idam na mam
ॐ
केतवे स्वाहा।
इद केतवे
इदं न
मम।
om ketve swaha idam
ketve idam na mam
ॐ
उग्राय स्वाहा।
इदं उग्राय
इदं न
मम।
om ugray swaha idam
ugray idam na mam
ॐ
शतक्रतवे स्वाहा।
इदं शतक्रतवे
इदं न
मम ।
om shatkratve swaha
idam shatkratve idam na mam
ॐ
वरुणाय स्वाहा।
इदं वरुणाय
इदं न
om varunaaye swaha
idam varunaaye idam na mam
ॐ
पितृभ्यो नमः
स्वाहा। इदं
पितृभ्यो इदं
न मम
।
om pitrebhyo namah
swaha idam pitrebhyo idam na mam
ॐ
गन्धर्वेभ्यो नमः
स्वाहा। इदं
गंधर्वेभ्यो इदं
न मम
।
om ghandharvebhyo
namah swaha idam gandharvebhyo idam na mam
ॐ
यक्षेभ्यो नमः
स्वाहा इद
यक्षेभ्यो इदं
न मम
।
om yakshebhyo namah swaha
idam yakshebhyo idam na mam
ॐ
नागेभ्यो नमः
स्वाहा इद
नागेभ्यो इदं
न मम
।
om nagebhyo namah
swaha idam nagebhyo idam na mam
ॐ
पिशाचेभ्यो नमः
स्वाहा, इदं
पिशाचेभ्यो इदं
न मम
।
om pisachebhyo namah
swaha idam pisachebhyo idam na mam
ॐ
राक्षसेभ्यो नमः
स्वाहा इद
राक्षसेभ्यो इदं
न मम
।
om rakshebhyo namah
swaha idam rakshebhyo idam na mam
ॐ
स्थान देवातभ्यो
नमः स्वाहा।
om sthan devtabhyo
namah swaha
ॐ
कुलदेवताभ्यो नमः
स्वाहा।
om kuldevtabhyo
namah swaha
ॐ ग्राम
देवताभ्यो नमः
स्वाहा।
om gram devtabhyo namah
swaha
ॐ
दश दिक्पालेभ्यो
नमः स्वाहा।
om dash dikpalebhyo
namah swaha
ॐ
सवों भ्यो
देवशक्तिभ्यो स्वाहा।
om sarvebhyo
devshaktibhyo swaha
ॐ
सर्वेभ्यो देवपुरुष
भ्यो नमः
स्वाहा।
om sarvebhyo
devpurushbhyo namah swaha
ॐ
सर्वेभ्यो महाप्राणेभ्यो नमः
स्वाहा।
om sarvebhyo maha
pranebhyo namah swaha
ॐ
सर्वेभ्यो आदित्येभ्यो
नमः स्वाहा।
om sarvebhyo
adityebhyo namah swaha
ॐ
सर्वाभ्यो मातृशक्तिभ्यो नमः
स्वाहा।
om sarvebhyo
matrashaktibhyo namah swaha
ॐ
सर्वेभ्यो तीथेभ्यो
नमः स्वाहा।
om sarvebhyo
teerthebhyo namah swaha
ॐ
सर्वाभ्यो महाविद्याभ्यो नमः
स्वाहा।
om sarvebhyo
mahavidhyabhyo namah swaha
MOOL MANTRA OF DEITY
Now do the havan of
your main mantra here as per details.
पूर्णाहुति PURNA AHUTI = FINAL AHUTI
पात्र
में सुपारी
या नारियल
पर घी
लेकर एक
चुटकी हवन-सामग्री लें।
'स्वाहा' उच्चारण
के साथ
आहुति छोड़ें-
Take
supari or coconut dipped in ghee and pour left out havan samagri over the havan
with below mantra
पूर्णमदः
पूर्णमिदं पूर्णात्
पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य
पूर्ण मादाय
पूर्ण मे
वावशिष्यते ।।
Poornamadah poornamidam
purnaat purnamudachyate
purnasya purna
madaay purna me vavashisyate
ॐ
पूर्णादर्वि परापत सुपूर्णा
पुनरापत।
वस्नेय
विक्रीणा वहा
इषमूर्ज (गूं)
शतक्रतो स्वाहा
ॐ
सर्वं वै पूर्ण
(गूं) स्वाहा।।
Om purnadarvi
parapaat supurna punrapat
vasney vikreena vaha
ishmurj goom shatkreto swaha
Om sarv vai purna
goom swaha
वसोधारा VASODHARA – FINAL GHEE AHUTI
वसोधारा
हेतु धी
की अविच्छिन्न
धारा हवन
कुंड में
टपकाई जाती
है। पास
में घी
भरकर ऐसे
घी टपकाये,
कि घी
की धारा
टूटे नहीं,
निम्न मंत्र
उच्चारण करें-
Take
ghee on some vessel and pour over havan kund like continuous flow like fountain
with below mantra
ॐवसोः
पवित्रमसि शतधारे
बसोः पवित्रमसि
सहसथारम्।
देवस्त्या
सविता पुनातु
बसोः पवित्रण
शतधारेण सुप्या
कामभुक्षः स्वाहा
।
Om vasoh pavitra
masi shat dhaare basoh pavitramasi sahastradharam devsatya savita punatu basoh
pavitren shat dharen supya kambhukshah swaha
भस्म धारण APPLYING BHASM
ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
Om trayambakam yaja
mahe sugandhim pusthi vardhanam urvarukmev bandhanan mrityomurkshiy mamritaat
chant the mantra ,
do the arti or the deity or stuti or any stotram and took bhasm from havankund
and apply on forehead
क्षमा प्रार्थना APOLOGISNG FOR MISTAKE
प्रत्येक
साधक को
क्षमा याचना
स्तोत्र का
पाठ अवश्य
करना चाहि
जिससे यज्ञ
में अज्ञानवश
कोई भूल
हो गई
हो या
त्रुटि रह
गई हो
तो, कारण
यज्ञ व्यर्थ
न जाए।
We must chant below
mantra for apologising any mistake done during havan in any means like
pronounciation, left out etc so that we get full benefits of havan
आवाहानं
न जानामि
नैव जानामि
पूजनम् ।
विसर्जन
नैव जानामि
क्षमस्व परमेश्वर
।।
मंत्रहीन
क्रियाहीनं भक्तिहीनं
सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं
मया देवि
। परिपूर्ण
तदस्तु
यदक्षरं
पदं भ्रष्ट
मात्राहीन च
यद् भवेत्
।
तत्सर्व
क्षम्यता देवि!
प्रसीद परमेश्वरि
।।
Aavahanam na janami
naiv janami pujanam
visarjanam naiv
janami kshamasv parmeshwar
yatpujitam maya devi
paripurna tadastu
yadsharam padam
bhrasht matraheen cha yad bhavet
tatsarv kshamyta
devih praseed parmeshwari
न
तो मैं
आवाहन करना
जानता हूं,
न विसर्जन
करना जान
हूं और
न पूजा
करना ही
जानता हूं।
हे परमेश्वरी!
क्षमा करो।
हे सुरेश्वरी!
मैंने जो
मंत्रहीन, क्रियाहीन
और भक्तिहीन
पूजन किया है,
वह सब
आपकी दया
से पूर्ण
हो ।
I dont know calling
, i dont know offering and even i dont know worship ritual but oh goddess
please aplogise me for any mistake in mantra and in any ritual and bless me
that it will be completed by your grace
शांति पाठ SHANTI PATH – PEACE MANTRA
कलश
के जल
से पुष्प
या आम्रपत्र
द्वारा उपस्थित
लोगों पर
अभिसिंचन करें- Take flower and dip in pot water and
sprinkle all over the room
ॐ
द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष (गूं) शांतिः
पृथिवी शान्तिरापः
शान्ति
रोषधयः शान्ति
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वे देवाः
शान्तिब्रहाशान्तिः सर्व
(गूं) शांतिः शान्तिरेव
शान्तिः ।
सा
मा शान्तिरेधि।
ॐ शान्तिः
शान्तिः!! शान्ति!!!
Om
ghoh shanti antriksh goom shantih prithvi shantirapah
shanti
roshadhyah shanti vanaspatyah shanti vishvre devah
shanti
brahm shantih sarv goom shantih shantirev shantih
विसर्जन मंत्र VISARJAN MANTRA
आवाहन
किए गए
देवी-देवताओं
को भावभरी
विदाई देते
हुए पूजा
वेदी पर
अक्षत, पुष्प
बरसाये जाते
हैं ।
विसर्जन के
साथ भावना
रहे,
कि देव
अनुग्रह बार-बार मिलता
रहे –
Proper
departure of all called gods and goddess with rice and flower with below mantra
to give success in havan.
गच्छ
त्वं भगवन्नग्ने!
स्वस्थाने कुण्डमध्यतः।
हुतमादाय
देवेभ्यः शीघ्र
देहि प्रसीद
में।।
गच्छ
गच्छ सुरश्रेष्ठ
स्वस्थाने परमेश्वर।
यत्र
ब्रह्मादयो देवाः
तत्र गच्छ
हुताशन ।।
यान्तु
देवगणाः सर्वे
पूजामादाय मामकीम्
।
इष्टकाम
समृद्धयर्थं पुनरागमनाय
च।।
Gach
tvam bhagwanagne svasthane kund madhyatah
hutmadaay
devebhyah sheegra dehi praseed me
gach
gach sur shreshtha svasthane parmeshwar
yatra
brahmadyo devah tatra gach hutashan
yantu
devganah sarve pujamadaay maamkeem
ishtkaam
samridyartham punar aagmanay cha